आदिवासी परिवारों ने राज्य सरकार
के मंत्री सत्यानंद भोक्ता को
सौंपा पत्र,लगाई गुहार
प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पिछले दिनों भूरैयतों के साथ बैठक में सहमति होने का दावा निकला खोखला
टंडवा (चतरा) मगध कोल परियोजना क्षेत्र से विस्थापित होने वाले देवलगडा के आदिवासी परिवारों ने राज्य सरकार के मंत्री सत्यानंद भोक्ता को पत्र लिखकर अपनी जमीनों व अचल संपत्तियों के रक्षा करने की गुहार लगाई है।इस बावत गुरुवार को दिए गए पत्र में कहा गया है कि सीसीएल प्रबंधन को तीन - चार साल पूर्व जमीन देने के बावजूद उन्हें नौकरी व मुआवजा नहीं दी गई है। वहीं उनके आशियानों को बाजबरन तोड़ा जा रहा है। श्रमिकों को जहां रोजगार नहीं दी जाती वहीं पाई-पाई जुटाकर लिए गए कोल लोडरों को भी निकाल कर उन्हें शोषण किया जा रहा है। आदिवासी परिवारों ने जिक्र किया है कि मगध परियोजना में बाहरी लोगों को रोजगार देकर उनके अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। मंत्री से आदिवासी परिवारों ने पूछा है कि आखिर बगैर एनओसी मिले प्रबंधन नियमों- कानूनों को ताक पर रखकर जमीनों का कटिंग व खनन क्यों कर रही है!? आपको बता दें पिछले दिनों प्रशासनिक अधिकारियों व सीसीएल प्रबंधन ने भूरैयतों के साथ बैठक कर आदिवासी परिवारों द्वारा जमीन देने की घोषणा कर भ्रामक खबरें फैलाई गई थी। बताया गया था जमीन देने के लिए भूरैयत सहमत हैं और 1 नवंबर से मगध परियोजना में कोल उत्खनन चालू हो जाएगा। ऐसे में भूरैयतों द्वारा मंत्री श्री भोक्ता को दिए गए पत्र ने दिलचस्प मोड़ ला दिया है। पत्र सौंपने वालों में अभिषेक उरांव, मंगला उरांव, पवन उरांव, राजेश उरांव,विजय उरांव समेत अन्य शामिल थे।
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