स्त्री को मां बनते देखा
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आशी.प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका) |
कमसिन, कोमलांगिनी को मैंने
मन से बेहत मजबूत होते देखा
नाजुक , कोमल ,कमल समान
प्रसव की पीड़ा से लड़ते देखा
हां एक स्त्री को मां बनते देखा ।।
प्रसव की इस पीड़ा से भी मैंने
एक अपनेपन का लगाव देखा
पीड़ा की इस पराकाष्ठा में भी
एक स्त्री को इससे लड़ते देखा ।।
हां एक स्त्री को मां बनते देखा ।।
एक जननी जो अपने शिशु को
प्रसव की पीड़ा से लड़कर भी
सुरक्षित इस दुनिया मैं लाती हैं,
पूरे नो माह तक गर्वस्थ देखा ।।
हां एक स्त्री को मां बनते देखा..........
कहा कभी एक मां भी ,
कोमल कमसिन कहलाती है।
शिशु के भार को सहती स्त्री
प्रसव की पीड़ा सहन करते देखा ।।
हां एक स्त्री को मां बनते देखा.......
शिशु की अटखेलियों के चिन्ह ,
मां के पेट पर उभर आते हैं
सुढोल शरीर को धीरे धीरे से
अपना अस्तित्व खोते देखा ।।
हां एक स्त्री को मां बनते देखा.........
प्रसव की पीड़ा सहन कर ही
स्त्री के उर में शक्ति समाती हैं,
नवजात शिशु के जन्म से ही
कोमल को मजबूत होते देखा ।।
हां एक स्त्री को मां बनते देखा.........
आशी.प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
भारत
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