हमें अपनी नदियों तालाबों को बचाना है

हमें अपनी नदियों 

तालाबों को बचाना है




हमें शक्तिशाली राष्ट्रीय अभियान चलाना है
सर्वशक्तिमान मनीषियों को चेताना है
हमें अपनी नदियों तालाबों को तात्कालिक
जीवनदायिनी भावना से बचाना है


नदियों तालाबों को सदैव ही उनकी
जीवनदायिनी शक्ति के लिए सम्मानित किया है
उस सम्मान को हम मनुष्यों ने
जी तोड़ कोशिश कर बचाना है


शहरीकरण और औद्योगीकरण है कारण इसका आधुनिकीकरण और लालच ने सभ गंवाया है
इकोसिस्टम को नष्ट करके
मानवीय सुखचैन सभ गंवाया है


लेखक - कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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