कौन है? जो एनआईए का गवाह होने का धौंस दिखाकर.. विस्थापित वाहन मालिको को खुला देता है धमकी(?)

 कौन है? जो एनआईए का गवाह होने 

का धौंस दिखाकर.. विस्थापित वाहन मालिको 

को खुला देता है धमकी(?)







कौन है वो? जो आम्रपाली कोल परियोजना में महज कुछ वर्षो पूर्व.. विस्थापित भू रैयतों एवं वाहन मालिकों पर मुकदमा करके.. ट्रांस्पोर्टिंग पेपर के नाम पर..2300 रुपया अवैध असुली का लगाया था आरोप...(?) अब आखिर क्यों और किसके इशारे पर एनआईए का गवाह होने का दावा करने वाला सरकारी बॉडीगार्ड लेकर.. ट्रांस्पोर्टिंग पेपर के नाम पर 3000 रुपये से 3600 रुपये की कर रहा है अवैध वसुली(?)
इतना ही नही सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के इन गवाहों के द्वारा.. आम्रपाली कोल परियोजना में वसूली का सिलसिला 2018-19 से हीं शुरू हो गया था। जो अबतक चला आ रहा है। जिसकी भनक अब तक एनआईए के पदाधिकायों को क्यो नही लग पाई है ? यह भी चिंतनीय विषय।
चतरा जिला के टंडवा प्रखंड में संचालित, आम्रपाली - मगध कोल परियोजना में टेरर फंडिंग मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा बनाये गए गवाह... इन दिनों बने हुए हैं सभी जगह चर्चा का विषय।
ये क्यों बने हुए हैं चर्चा का विषय आईये आपको विस्तारपूर्वक बताते हैं।
आम्रपाली कोल परियोजना के स्थानीय विस्थापित ग्रामीण ने अपना नाम नही छापने की शर्त पर बताया... कि जबसे आम्रपाली कोल परियोजना में एनआईए ने अवैध उगाही केस में सिमरिया अनुमंडल के कुछ स्थानीय ट्रक मालिकों को सरकारी गवाह बनाया है। तब से सभी विस्थापित रैयत परिवार और विस्थापित वाहन मालिक ..उन बने गवाहों के शोषण और झूठे केस मुक़दमे को झेलते चले आ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन के पिछले 5-6वर्षो का केस रिकॉर्ड चेक किया जाए तो अनगिनत झूठे मुक़दम्मे उन गवाहों के द्वारा किया हुआ मिलने का दावा भी किया जा रहा है। वहीं स्थानीय ग्रामीण ने यह भी बताया कि जब वे लोग एनआईए के फर्जी गवाह बने थे तब उनके पास 1 पुराना 12 चक्का ट्रक हुआ करता था। लेकिन आज वर्तमान समय मे उन सभी फर्जी गवाहों के पास 10 से 15 चौदह चक्का ट्रक है तो वहीं राँची, चतरा, हज़ारीबाग़, सिमरिया जैसे शहरों में बड़े-बड़े मकान और करोड़ो की जमीन भी है। और बताया कि एक वक्त ऐसा भी आया जब इन गवाहों पर ट्रक मालिकों के भाड़ा गबन का आरोप भी लगा जिससे बचने के लिए उन्होंने खुद पर गोलियां चलवाकर सरकारी बॉडीगार्ड भी ले लिया। फिर क्या था इन गवाहों के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते चले गए और 2018से लगातार 7 वर्षो तक वे आम्रपाली कोल परियोजना में कोयला ट्रांस्पोर्टिंग, रेक लोडिंग, रंगदारी जैसे सभी कार्य पर अपना दबिश बना बैठे। और देखते ही देखते महज..एक पुराना 12 चक्का ट्रक का मालिक एनआईए का गवाह बनकर चल - अचल अकूत सम्पत्ति का मालिक बन गए। लेकिन कहते हैं न..पाप का घड़ा एक न एक दिन जरूर फूटता है। दबी जुबान से ही सही लेकिन अब स्थानीय ग्रामीणों ने इन झूठे गवाहों के खिलाफ बोलना आरम्भ कर दिया है।
शोषित ग्रामीण ने यह भी बताया कि सभी ग्रामीण मिलकर इन फर्जी गवाहों के खिलाफ सभी विवरण और सबूत जुटा चुकें हैं। जिसे बहुत जल्द राष्ट्रीय जांच एजेंसी दिल्ली कार्यालय और देश के प्रधानमंत्री कार्यालय एवं महामहिम राष्ट्रपति कार्यालय में भी पत्र और आवेदन के माध्यम से सूचित करेंगे।

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