मेरे शिव शंकर पर सबने उंगलियां उठाई * क्यों मूर्ख हिंदुओं ने दूध की नदियां बहाई*

मेरे शिव शंकर पर सबने

 उंगलियां उठाई
 
क्यों मूर्ख हिंदुओं ने दूध

 की नदियां बहाई


मैं यह नहीं कहूंगी कि मैं शिव भक्त हूं तो मैं इसलिए ऐसी बातें करती हूं! हां यह जरूर कहूंगी कि मुझे अपनी सनातन संस्कृति और अपने शिव शंकर पर पूर्ण विश्वास श्रद्धा और घमंड है!


घमंड इसलिए क्योंकि पूरी सृष्टि को बचाने वाले शिव ही थे,जब समुद्र मंथन के समय विष से भरा हुआ कलश समुद्र मंथन से निकला था!लेकिन विष के कलश से पहले समुद्र मंथन में गौ माता निकली! उसके बाद विष का कलश निकला! यह विष इतना खतरनाक था,कि अगर इसकी एक भी बूंद कहीं भी गिर जाती पूरी सृष्टि विनाश के कगार पर होती!


अब इस विष से भरे हुए कलश को देख कर सब देवी देवता घबरा गए,कि अब संपूर्ण सृष्टि के विनाश को कोई नहीं रोक सकता है! संपूर्ण सृष्टि की रक्षा के लिए शिव शंकर ने विष से भरे कलश को पीने का निर्णय कर लिया था परिणाम चाहे कुछ भी हो!


जब किसी की भलाई के लिए विष का पान भी किया जाए तो परिणाम कुछ और ही होते हैं, भले ही सृष्टि के निर्माता खुद स्वयं शिव शंकर है,लेकिन उनकी रक्षा करने के लिए स्वयं गौमाता समुद्र मंथन से सबसे पहले निकल कर बाहर आई थी! क्यों क्योंकि वह जानती थी जहां अमृत निकलता है वहां विष भी साथ-साथ निकलता है!


अब इस विष के कलश को देख कर सब दूर हो गए,किसी भी देवी देवता में इतना साहस नहीं था कि वह इस विष के कलश को धारण कर सके!तब शिव शंकर ने इस विष के कलश को संपूर्ण सृष्टि को बचाने के लिए अपने कंठ में धारण कर लिया!यह विष इतना खतरनाक था कि शिव शंकर का कंठ और पूरा शरीर तुरंत नीला पड़ गया!जब शिव शंकर इस विष के कलश को पी रहे थे तब कलश से कुछ विष की बूंदे छलक कर पृथ्वी पर गिर गई थी!इस विष की जलन इतनी तेज थी कि शिव शंकर के संपूर्ण शरीर पर छाले पड़ गए थे!और शिव शंकर वहीं पर पत्थर के समान बेहोश होकर गिर पड़े!


तब गौ माता ने अपने दूध की धारा से शिव शंकर के संपूर्ण शरीर की जलन को कम किया! और शिव शंकर की जटा में बैठी गंगा मां ने जल की धारा से विष के प्रकोप को शांत किया!तब सभी देवी देवताओं ने जिसको जो मिला उस समय,किसी ने बेलपत्र किसी ने भांग किसी ने धतूरा शिव शंकर के शरीर पर मला!और यही सब चीजें दूध,पानी,बेलपत्र,भांग, धतूरा,सृष्टि के निर्माता के लिए जीवनदान बन गए!


शिव शंकर होश में आ चुके थे! तब शिव शंकर ने सभी देवी देवताओं को बताया कि यह विष इतना खतरनाक है कि,जब तक यह सृष्टि रहेगी,तब तक इस विष का असर सृष्टि पर सदैव रहेगा!


क्योंकि विष धारण करते समय विष की कुछ बूंदे जमीन पर भी गिर गई थी!इसीलिए पृथ्वी को भी विष मुक्त और विष की गर्मी को ठंडा करने के लिए दूध और जल की धारा निरंतर चढ़ानी होगी!तब शिव शंकर ने जहां जहां विष की बूंदे गिरी वहां वहां पृथ्वी पर शिवलिंग को (शिव के चिन्ह) को स्थापित कर दिया!


तब से लेकर आज तक शिवलिंग पर दूध और जल की नदियां बहती हुई आ रही है युगो युगो से, और जब तक यह सृष्टि है तब तक दूध और जल की नदियां शिवलिंग के माध्यम से ( शिव के चिन्ह) के माध्यम से हम पृथ्वी को विष और उसकी गर्मी से मुक्त करने के लिए दूध और जल की नदियां रोज बहाते रहेंगे शिवलिंग पर!


क्योंकि जो दूध और जल हम शिवलिंग पर चढ़ाते हैं वह शिवलिंग से बहता हुआ,पृथ्वी में समाहित होता रहता है और पृथ्वी को ठंडा करने में मदद करता है! इसीलिए ही हमारे पूर्वज सुबह उठ कर नहा धोकर एक लोटा दूध और जल शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए जाते थे!जिससे उन्हें भी सृष्टि को बचाने वाले शिव की सेवा करने का मौका मिलता था!


शिव शंकर अपने भक्तों की ऐसी कृपा अपने ऊपर देख कर,अपने भक्तजनों को आशीर्वाद देने से पीछे नहीं हटते थे!और आज भी शिव शंकर अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद सदैव बनाए रखते हैं! यह बात दूसरी है कि आज किसी को शिव के छालों पर दो बूंद दूध चढ़ाने के लिए समय नहीं है!


समय इसलिए नहीं है क्योंकि आज इंसान पैसा कमाने की दौड़ में सुबह उठते ही भाग रहा है!
जिस शिव शंकर ने इस सृष्टि को बचाने के लिए विष पिया उसको ही ज्ञान बांट रहा है!
जो ये पढ़े लिखे अनपढ़ ये कहते है ना कि( I am not belive in God.)तो तुम जो इस धरती पर सांसे ले रहे हो ना इन्ही गॉड की वजह से ले रहे हो!


इसलिए तुम्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि दूध शिवलिंग पर चढ़ा कर वेस्ट मत करो! जब तुम इतना कमाते हो तो एक पैकेट दूध का किसी गरीब को भी दान करो!
ॐ नमः शिवाय 🚩🙏


लेखिका डॉ हर्ष प्रभा उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद
समाज सेविका पर्यावरणविद एवं लेखिका
गुडविल एम्बेसडर विवेकानंद वर्ल्ड पीस फाउंडेशन
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