उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी के योगी राज में उड़ रहीं कानून की धज्जियां।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ 

जी के योगी राज में उड़ रहीं 

कानून की धज्जियां।


 ए के विन्दुसार
संस्थापक भारतीय मीडिया फाउंडेशन
भारतीय मतदाता महासभा
संयोजक अंतरराष्ट्रीय मीडिया अधिकार महामोर्चा ।

भारत के भावी प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर से भयमुक्त हुए कुछ प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिसकर्मी।

साफ-सुथरे एवं अच्छी छवि के प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिसकर्मी भी हो रहे हैं बदनाम।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में दूसरी बार बहुमत की सरकार योगी आदित्यनाथ की हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं योगी आदित्यनाथ के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। एक चर्चित एवं योगी पुरुष हैं, जिन्होंने दूसरी बार उत्तर प्रदेश की लगातार कमान को अपने हाथ में लिया है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री के कुर्सी पर बैठने के बाद से ही लगातार गुंडों माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर अभियान चलाया गया और लगातार चल भी रहा है। सभी जातियों धर्मों के लोग खुशहाल हैं। जबकि सरकार बनाने के दौरान तरह-तरह की अफवाह उड़ाई जाती थी कि योगी आदित्यनाथ के सरकार में जाति एवं धर्म के आधार पर पक्षपात होगा लेकिन इस आरोप को पूरी तरह से ध्वस्त करने का कार्य योगी आदित्यनाथ ने किया है, इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता।

सच्चाई बयान करना एवं सच्चाई सुनना थोड़ा कड़वाहट जरूर होता है।

वर्तमान समय में मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जो समीक्षा की गई उसमें पाया गया कि उत्तर प्रदेश में जहां एक तरफ गुंडों, माफियाओं, भू-माफियाओं, दबंगों का साम्राज्य धाराशाही हो रहा है वही एक नए साम्राज्य का उदय हो रहा है जिसके कर्ताधर्ता कुछ तथाकथित प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस विभाग में पुलिसकर्मी हैं जो वर्दी के भेष में आम जनता से गुंडों जैसा व्यवहार करते हैं। ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्पेशल जांच समिति बनाकर इनकी गोपनीय जांच कराएगी तो सारे मामले खुलकर सामने आ जाएंगे। यही तथाकथित भ्रष्टाचार में लिप्त प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिसकर्मी ही अपराध के जड़ को मजबूत करने में लगे हुए हैं।

मीडिया की गोपनीय रिपोर्ट आने के बाद भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं भारतीय मतदाता महासभा के संस्थापक व अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अधिकार महामोर्चा के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक एके बिंदुसार ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षित नहीं है। ज्यादा से ज्यादा भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस कर्मी एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा शोषण का शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि यातायात की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। यातायात पुलिसकर्मी वसूली के सिवा कुछ नहीं करते। आम नागरिकों को किसी न किसी बहाने से प्रताड़ित करने का कार्य करते हैं।

उन्होंने वाराणसी जनपद में कुछ पुलिस कर्मियों के द्वारा सराहनीय कार्य पर उन्हें बधाई देते हुए कहा कि जिस तरीके से वाराणसी के कुछ क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों को यातायात अभियान को सफलतापूर्वक संपन्न कराते हुए देखा गया। चालान के जगह लोगों को हेलमेट पहनने के लिए जिस तरीके से जागरूक किया गया और उन्हें हेलमेट भी दिया गया यह वाराणसी के पुलिसकर्मियों का सराहनीय कार्य है। लेकिन वाराणसी के ही कुछ जगहों पर कुछ पुलिसकर्मियों के द्वारा आम नागरिकों को प्रताड़ित करते हुए भी देखा गया, इसकी सारी रिपोर्ट बनाई गई है।

इसके अलावा कई समाचार पत्रों में भी खबर प्रकाशित भी हुए हैं। इतना ही नहीं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध तरीके से कई सील हॉस्पिटल भी चोरी-छिपे संचालित होते रहते हैं उसकी खबर होने के बाद भी किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। कहीं न कहीं मिलीभगत वाली संस्कृति चल रही है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बेहतर कार्य कर रही हैं‌ इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता। लेकिन कहीं न कहीं सरकार के सही कार्यों को दिशाहीन करने के लिए प्रशासनिक लेवल पर भी राजनैतिक करण हो गया है।

इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाकर भ्रष्टाचार में लिप्त संदेह पर प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का प्रावधान किया जाना अति आवश्यक हैं।

उन्होंने कहा कि जब भी किसी भी मीडिया कर्मी के द्वारा भ्रष्टाचार का उजागर किया जाता है, गलत कृत्यों को सामने लाया जाता है, तो ऐसे में सत्तापक्ष से जुड़े हुए कुछ तथाकथित लोग ही मीडिया की आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं और भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने का कार्य करते हैं। इतना ही नहीं ईष्या वश पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने के साथ साथ उनके ऊपर तमाम तरह के फर्जी मुकदमे लाद दिए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में विगत दिनों कई समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चैनल पर खबर चलाई जाती रही। कई पत्रकारों को तरह तरह की धमकियां दी गई, उनको फर्जी मुकदमे में फंसाया गया। इसके अलावा कई ऐसे राजनेता हैं जो सच्चाई के साथ खड़े होकर संघर्ष करते हैं उन्हें भी पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। समाज का जो मुख्य सामाजिक बुनियाद है सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी पुलिसिया उत्पीड़न का कहर देखा गया।

उन्होंने बताया कि पूरी तरह से पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के अभिव्यक्ति पर रोक लगाने की एक नाकाम कोशिश होती रहती है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को अभी तक संवैधानिक रूप से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा नहीं मिला, न हीं अभी तक केंद्रीय मीडिया कल्याण बोर्ड या मीडिया पालिका की स्थापना की गई। पत्रकारों के लिए किसी प्रकार की कोई भी ठोस योजनाएं राज्य व केंद्र लेवल पर संचालित नहीं है।

कुछ योजना उत्तर प्रदेश सरकार में योगी आदित्यनाथ के द्वारा संचालित है लेकिन उसका लाभ तथाकथित पत्रकारों को ही मिलता है। रियल में जो रूटीन की पत्रकारिता करते हैं, जो क्षेत्र में चलकर अवैतनिक समाज की सेवा कर रहे हैं ऐसे पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को उसका लाभ नहीं मिलता है, यह चिंता का विषय है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री एवं भावी प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में चर्चित योगी आदित्यनाथ से मांग करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने हेतु पत्रकारों के संरक्षण को ध्यान में रखना होगा। राज्य लेवल पर मीडिया कल्याण बोर्ड बनाकर उसमें 52 सदस्यों की कमेटी जो तैयार की जाए लगभग 25 से 30 की संख्या में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को जो प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा डिजिटल मीडिया के क्षेत्र से जुड़कर कार्य करते हैं उनके साथ साथ मीडिया संगठन को संचालित करने वाले मीडिया अधिकारियों को भी नामित किया जाएं। बाकी सरकार की ओर से प्रशासनिक लेवल के भी अधिकारीगण को मीडिया कल्याण बोर्ड में नामित किया जाए।

उन्होंने कहा कि मीडिया कल्याण बोर्ड के द्वारा ही पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए बनाए जाने वाली योजनाओं पर चर्चा परिचर्चा कराई जाएं।

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