श्वांस रोग के ईलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा प्रणाली समय की जरूरत है - डॉ. एस.के पाठक

श्वांस रोग के ईलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा

 प्रणाली समय की जरूरत है - डॉ. एस.के पाठक





वाराणसी (राम आसरे)। ब्रेथ ईजी टी.बी चेस्ट एलर्जी केयर सेंटर अस्सी वाराणसी द्वारा 26 अगस्त 2023 दिन शनिवार को चंदौली में एक चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे चंदौली पड़ाव व आस-पास के सम्मानित चिकित्सक सम्मलित थे। इस चिकित्सीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में ब्रेथ ईजी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.के पाठक उपस्थित थे।
डॉ. एस.के पाठक वाराणसी के जाने-माने श्वांस टी.बी एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ हैं जिन्होंने अपनी पढाई के.जी.एम्.सी लखनऊ से किया हैं। डॉ. पाठक के चिकित्सा क्षेत्र में किये उलेखनीय योगदान के लिए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी से उनके वाराणसी प्रवास के दौरान मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमे प्रधानमन्त्री जी ने उनके कार्यों की सराहना की।
ब्रेथ ईजी द्वारा आयोजित इस चिकित्सीय संगोष्ठी में डॉ. पाठक ने आधुनिक पद्दति द्वारा अस्थमा टी.बी एलर्जी खर्राटा व चेस्ट संक्रमण जैसे गंभीर बिमारियों के इलाज के बारे में चिकित्सको को जानकारी दी। डॉ. पाठक ने श्वांस की बीमारी की चर्चा करते हुए बताया कि साँस फूलने के कई कारण हो सकते हैं जिसमे अस्थमा, दमा निमोनिया मुख्य हैं ईसके अलावा कभी-कभी खून की कमी एनीमिया हार्ट एवं किडनी की बीमारी की वजह से भी सांस फूल सकती हैं। डॉ. पाठक ने ये भी बताया कि अस्थमा में मरीजो को बार बार खांसी आना सास फूलना धुल-धुएं से एलर्जी प्राय: कई बार छीक आना बलगम के साथ कफ़ आना इत्यादि मुख्य लक्षण होते हैं। डब्लू.एच.ओ के अनुसार अस्थमा के कारण दुनिया में हर साल लगभग 2.5 लाख से ज्यादा लोगो की मृत्यु होती हैं। डॉ पाठक ने बताया कि अस्थमा में मुख्यत: श्वांस नलियों में सूजन हो जाता हैं जिसके कारण बाद में उन नालियों में सिकुडन भी हो जाता हैं, जो साधारण दवाइयों से नही ठीक हो पता हैं। इसके लिए एक विशेष प्रकार की थेरेपी का इस्तमाल किया जाता हैं जिसे इन्हेलेशन थेरेपी कहतें हैं I अस्थमा की बीमारी फेफड़ो से सम्बंधित हैं, इसलिए इसमें इन्हेलेशन थेरेपी का ही उपयोग होना चाहिए जोकि सीधे फेफड़ो में जाकर अपना काम करती हैं। जिससे अस्थमा के मरीज को 2-3 मिनट में ही आराम मिल जाता हैं।
डॉ. पाठक ने बताया कि एलर्जिक दमा को पता लगाने के लिए पी.एफ.टी द्वारा फेफड़े की कार्य-क्षमता के साथ-साथ एलर्जी की जाँच कराना भी अत्यधिक जरुरी होती हैं जिससे एक चिकित्सक को अपने मरीज के बारे में यह पता चलता हैं कि कौन से एलर्जी के कारण मरीज की साँस फूल रही हैं जिसके उपरान्त मरीजों को इम्युनोथेरेपि द्वारा वैकसीनेशन कराने में सहायता मिलती हैं I
डॉ. पाठक के ने बताया टी.बी के कारण भी सांस फूल सकती हैं। सही समय पर सही ईलाज से सांस की बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता हैं। डॉ. पाठक ने बताया ब्रेथ इजी टी.बी चेस्ट एलर्जी केयर सेंटर वाराणसी का एक अग्रणी अस्पताल हैं जिसमे आधुनिक श्वास फेफड़ा एलर्जी रोग सम्बंधित विशेष चिकित्सा प्रदान की जाती हैं। आगे डॉ. पाठक ने बताया कि खर्राटा भी एक गंभीर साँस की बीमारी है। जिसके कारण हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी हो सकती है I खर्राटे के विशेष जाँच व ईलाज की सुविधा ब्रेथ ईजी टी.बी चेस्ट एलर्जी केयर सेंटर अस्सी वाराणसी में उपलब्ध हैं I
ब्रेथ ईजी द्वारा आयोजित इस चिकित्सकीय संगोष्ठी में चंदौली जिला के सम्मानित चिकित्सक जैसे डा रमाशंकर सिंह, डा दिनेश सिंह, डा आनंद प्रकाश तिवारी, डा चंद्रिका प्रसाद, डा सैलेश श्रीवस्तीव, डा अश्वानी कुमार आदि लोग मौजूद थे।

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