5 दिवसीय विराट किसान मेला के चतुर्थ दिवस में दलहनी एवं तिलहनी फसलों पर चर्चा की गयी

5 दिवसीय विराट किसान 

मेला के चतुर्थ दिवस में दलहनी

 एवं तिलहनी फसलों

 पर चर्चा की गयी


प्रयागराज (राम आसरे)। रविवार को अखिल भारतीय सरदार वल्लभ भाई पटेल सेवा संस्थान, अलोपी बाग, प्रयागराज में चल रहे 5 दिवसीय विराट किसान मेला के चतुर्थ दिवस में गोपाल दास उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा, प्रयागराज मण्डल, एस0 पी0 श्रीवास्तव उप कृषि निदेशक, प्रयागराज एवं श्रीमती अर्पिता राय, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी-सोरांव, डा0 चन्द्रभान सिंह, पशु चिकित्साधिकारी, प्रयागराज, शुआट्स के कृषि वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार, डा0 मदन सेन एवं कृषि विज्ञान केन्द्र कौशाम्बी के डा0 आशीष कुमार तथा कुलभाष्कर आश्रम पी0 जी0 कालेज, डा0 मनीष कुमार, द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रीती त्रिपाठी द्वारा किया गया।

उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा, प्रयागराज मण्डल द्वारा दलहनी एवं तिलहनी फसलों पर चर्चा की गयी। जिसमें उन्होंने खेतों में देशी खाद का प्रयोग करने की सलाह दी। दलहनी फसलों जैसे चना व मटर की खेती में जैविक कीट प्रबन्धन हेतु खेत में खम्भे गाड़े जाये जो फसल से ऊंचे हो ताकि पक्षी उस पर बैठकर कीटों को अपने आहार के रूप में ग्रहण करते हुए कीटों के नियत्रंण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। खेती के प्राकृतिक शत्रुओं के नियत्रंण रखने में एकीकृत कीट प्रबन्धन सहायता करता है। चूहों पर नियत्रण रखने के लिए चूहों की बिलों के पास ब्रोमाइड युक्त बिस्किट एवं ब्रेड का प्रयोग किया जाता है। जिससे चूहों में आवश्यक विटामिन-ज्ञ की कमी हो जाती है इस दौरान चूहों की धमनियों में रक्तस्राव होने से तत्काल चूहों की मृत्यु हो जाती है।
पशु चिकित्साधिकारी, प्रयागराज द्वारा बताया गया कि पशुपालन, कृषि का एक प्रमुख घटक है। पशुपालन से प्राप्त गोबर की खाद का खेतों में उपयोग होता है। पशुपालन चार श्रेणियों में विभक्त है यथा-पशु प्रबन्धन, पशुपालन पोषण, पशुपालन प्रजनन एवं रोग नियंत्रण सम्मिलित है। पशुपालन विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय गोकुल मिशन एक अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं कृषक सहयोगी योजना है। इसके अन्तर्गत पशुओं का पंजीकरण किया जाता है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अन्तर्गत गौशाला से एक कृषक को अधिकतम 4 गाय प्रदान की जाती है तथा प्रत्येक गाय पर 50 रु0 प्रतिदिन के हिसाब से रख-रखाव हेतु उन्हें अनुदान दिया जाता है।
वैज्ञानिक डा0 मनीष कुमार, कुलभाष्कर आश्रम स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने बताया कि खेती के साथ- साथ बागवानी की खेती करने से कृषक स्वयं उद्यमी बन सकते हैं। किसान दो या दो से अधिक उद्यमों को अपनाकर उत्पादकता के साथ-साथ अपनी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। अंकुर सीड्स के निदेशक अंकुर चैधरी द्वारा धान की उन्नत खेती के विषय में विस्तृतपूर्वक कृषकों को बताया गया। जी0 सिंह डिग्री कालेज, सहसों के छात्र श्री रामराज यादव द्वारा बताया गया कि हरी खाद जैसे सनई, ढैंचा, एवं दलहनी फसलों की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है जिससे उत्पादन अधिक प्राप्त होता है और कृषक की आय में वृद्धि होती है।

विराट किसान मेला में कृषकों की जानकारी के लिए 46 विभागों/संस्थाओं द्वारा स्टाल लगाये गये हैं जिससे जानकारी प्राप्त कर कृषक लाभान्वित हो रहे है तथा मेले में 1125 कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जिसमें पांच कृषकों को पुरस्कृत किया गया।
अन्त में धन्यवाद ज्ञापन के साथ समापन किया गया।

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