धनबाद में पुलिस अधिकारियों
के खिलाफ दर्ज मामले में झारखंड
हाई कोर्ट ने मेंटीबिलिटी
पर फैसला सुरक्षित रखा
रांची, 27 सितंबर (हि.स.)। एक निजी चैनल के मालिक अरूप चटर्जी के खिलाफ धनबाद में दर्ज विभिन्न केस के अनुसंधानकर्ता, तत्कालीन एसपी और डीएसपी समेत कुछ गवाहों के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मेंटीबिलिटी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामले में हाई कोर्ट की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उनकी ओर से मामले में मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर बहस की गई। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धनबाद में कोयले के अवैध व्यापार में वसूली का प्रार्थी ने जो आरोप लगाया है वह बेबुनियाद है। प्रार्थी प्रभावित व्यक्ति नहीं है। पुलिस को फंसाने के लिए उन्होंने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया है। पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को इस केस की मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
धनबाद में अरूप चटर्जी के खिलाफ 17 एफआईआर दर्ज किए गए थे। इसमें एफआईआर दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता ने अरुण चटर्जी पर बकाया राशि नहीं देने का आरोप लगाया था। इसमें कुछ मामलों को लेकर अरूप चटर्जी को जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि, बाद में समझौता के आधार पर उन्हें कई मामलों में जमानत मिली है। अरूप चटर्जी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज करने वाले अनुसंधानकर्ता (आईओ), धनबाद के तत्कालीन एसपी, डीएसपी एवं कुछ गवाहों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए याचिका दाखिल की गई है। अरूप चटर्जी की ओर से कहा गया है कि ये पुलिस अधिकारी धनबाद में कोयले के अवैध व्यापार में वसूली का काम करते थे। उनके द्वारा जानबूझकर इस मामले में उन्हें फंसाया गया है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
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