राष्ट्रीय चेतना मंच 24 जनवरी 2025

 

राष्ट्रीय चेतना मंच

24 जनवरी 2025

सभी प्रियजनों को मेरी राम राम, बड़ों को नमन, छोटों को ढेर सारा प्यार।

इतिहास साक्षी है... आदरणीय इंदिरा गांधी के बचपन का नाम प्रियदर्शनी था, संपन्न परिवार में जन्म लेकर भी उनका संपूर्ण जीवन कांटों से भरा रहा,उनका जीवन वह टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता था जहां सीधा रास्ता कम, बड़े-बड़े खड्डे व खाईयां ही अधिक थी। बचपन में मां का साथ नहीं मिला क्योंकि मां ज्यादातर बीमार रहती थी, पिता का साथ भी नहीं मिला क्योंकि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में व्यस्त रहते थे। उनका पूरा बचपन बिना माता-पिता की छत्रछाया के अकेले ही बीता, इसलिए वे सदैव उदास रहा करती थीं।

उनकी शिक्षा.... जेल में बैठकर उनके पिताश्री (नेहरूजी) द्वारा भेजे गए पत्रों का उनपर गहरा प्रभाव पड़ा । इन पत्रों ने उनके जीवन को सजाने संवारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया (Letters to Her Daughter नामक पुस्तक को आप स्वयं पढ़कर सत्य को जान सकते है)।

सन 1937 में आदरणीय इंदिरा गांधी ने इतिहास की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, परंतु ऑक्सफोर्ड छोड़ना पडा, उस समय वहा लैटिन भाषा कंपलसरी (Compulsory)थी, वह लैटिन भाषा का पेपर (Paper)पास नहीं कर पाई क्योंकि लैटिन भाषा में उनकी रुचि नहीं थी। फिर पढ़ाई के लिए शांति निकेतन चली आई, उस समय उनकी माताजी बहुत बीमार थी। स्विट्जरलैंड के सेनेटोरियम(Sanitorium) में उनका इलाज चल रहा था जिनके बचने की कोई आशा नहीं थी। शांति निकेतन छोड़कर वे स्वीटजरलैंड अपनी माताश्री के पास चली गई और अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा करती रही।

राजनैतिक जीवन... बचपन में ही उन्होंने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया। सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में इन्होंने गाँधीजी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अपने पिताश्री नेहरूजी की परिचारिका के रूप में सदैव उनके साथ रही और उनके के साथ विदेश भी जाया करती थी। अपने पिताश्री नेहरूजी के साथ रहते हुए उन्होंने देश व विदेश का गहरा ज्ञान प्राप्त किया।

प्रभावशाली शैक्षिक पृष्ठभूमि.... के कारण उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा विशेष योग्यता प्रमाण दिया गया । उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी को भारत रत्न, मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया ।

राजनैतिक जीवन... सन 1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्या बनी। सन 1956 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्षां बनीं। सन 1958 में उन्हें कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। सन 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं।

सन 1964-- 1966 तक भारत सरकार में, वे सूचना एवंम प्रसारण मंत्री रही।

तत्पश्चात, आज ही के दिन, 24 जनवरी 1966 को भारत की महान वीरांगना आदरणीय इंदिरा गांधीजी ने भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। इंदिरा गांधी भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए...

१) श्वेत (दूध) क्रांति” की शुरुआत की और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना की। २) हरित क्रांति लाकर कृषि क्षेत्र का विकास किया। ३) मध्य प्रदेश के विकास के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की। ४) राजाओं का प्रीवि पर्स (विशेष अनुदान) खत्म कर दिया। ५) 17 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर, देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। ६) 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, भारत की विजय में अहम भूमिका निभाई, पाकिस्तान के दो टुकड़े कर, 90000 सैनिकों को बंदी बनाकर विश्व मैं भारत का शौर्य बढ़ाया और अमेरिका के सातवें बेड़े (seventh fleet) को धता बुलाकर अमेरिका के घमंड को चूर चूर कर दिया। ७) देश विरोधी कार्य मैं लिप्त होने के कारण बीबीसी को बैन कर दिया और उसपर भारी जुर्माना लगाया गया। ८) अमेरिका की परवाह न करते हुए, सन 1974 में पोखरण मैं परमाणु विस्फोट किया और भारत को परमाणु संपन्न देश बनाया। आज आदरणीय इंदिराजी भारत की लोह महिला (Iron lady) के रूप मैं जानी जात हैं।

सन 1965 और 1971 के युद्ध के कारण, भारत पर अमेरिका के अनेक प्रतिबंधों के करण, विशेष समूह की जनसंख्या उछाल के कारण, रोजगार के अवसर कम हो चुके थे , नौकरियां सिमट कर रह गई थी, महंगाई सातवै आसमान पर पहुंच चुकी थी, लोग परेशान थे। इन हालात का फायदा उठाकर और इंदिराजी की बढ़ती हुई लोकप्रियता के करण सभी मक्कार नेता परेशान हो गये और सत्ता की भूख ने उन्हें अधर्म के मार्ग पर धकेल दिया।

सत्ता की भूख से ग्रस्त, जिस प्रकार आज देश के अधिकांश स्वार्थी व मक्कार नेताओं ने आदरणीय मोदीजी का घेराव कर रखा है, उन्हें काम करने नहीं देते, अपमान व तिरस्कार भरे शब्दों द्वारा उनका मनोबल तोड़ने में लगे रहते हैं। उसी प्रकार, उन सभी स्वार्थी व मक्कार नेताओं ने एककट्ठे होकर इंदिरा गांधीजी का घिराव कर लिया था, उनके विरुद्ध झूठा आंदोलन छेड़ दिया। उन स्वार्थी व मक्कार नेताओं ने देश के लोगों को भड़काना शुरू कर दिया। अध्यापकों को हड़ताल में धकेल दिया गया, 20 दिन तक रेल का चक्का जाम करवा दिया गया और रामलीला मैदान से सेना व पुलिस को सत्ता के विरुद्ध (इंदिराजी के विरुद्ध) आंदोलन करने को उकसाया गया, इस प्रकार इन महास्वार्थी और देश के गद्दार महामूर्ख नेताओं ने देश मैं अराजकता की स्थिति पैदा कर दी जिसका इंदिरा गांधीजी ने डटकर मुकाबला किया और अंत में सत्य की विजय हुई।

इंदिराजी के विषय मैं एक बालक के मनोभाव...

क्या इंदिरा थी वह, या देवि का अवतार,

कभी डरी नहीं, कभी हारी नहीं,

कर्तव्य पथपर चलती रही सदैव।

कभी झुकी नहीं, झुकाया सभी को,

थी दुर्गा माता का, साक्षात अवतार।

आगे का इतिहास जानने के लिए, 25 जनवरी 2025 का लेख अवश्य पढ़े। अधपके (Half Cooked ) व अधूरेज्ञान (Half knowledge) के धनी महापंडितों द्वारा परसों गए ज्ञान की वास्तविकता को जानकर, अपने मन व मस्तिष्क से कचरा निकाल कर , सत्य को जानें । जय हिंद, जय भारत।

-मोती लाल गुप्त

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