मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि 14 जनवरी को सूर्य दोपहर दो बजकर 58 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। यह पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। अधिकांश हिंदू शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करते हैं और श्रद्धा अनुसार मंदिर या गरीब लोगो को दान देते हैं।
यह दिन असुरों पर भगवान विष्णु की जीत का प्रतीक है। यह दिन खगोलीय दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह दिन शीत ऋतु का अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। आज ही के दिन फसल कटाई का उत्सव बड़े धमधाम से मनाया जाता है और जनमानस समृद्धि की कामना करतें हुए प्रकृति का आभार व्यक्त करते हैं। यह दिन पिता-पुत्र के मिलन का भी प्रतीक हैं। घरों की सजावट की जाती हैं और तरह-तरह के पकवान व मिठाइयों से भगवान को भोग लगाया जाता है। परिवार के सभी सदस्य एक ही जगह बैठकर, मिलजुल कर रंग-बिरंगे खाने का आनंद लेते हैं और आपस में ढेर सारी बातें करते हैं। इस प्रकार भारत के अधिकतर राज्यों में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
परमपिता परमात्मा ने भारतभूमि की रचना स्वर्ग के रूप में की है, परन्तु विदेशी आक्रांताओं ने , हमारे देश के कुछ छोटे राजाओं की आपसी ईर्ष्या व द्वेष ने और आज के अधिकांश तथाकथित स्वार्थी व मक्कार राजनेताओं ने हमारी स्वर्ग स्वरूप भूमि को नरक में बदल दिया है। परमपिता परमात्मा से हम बारंबार प्रार्थना करते हैं कि हमारे इन राजनेताओं को सद्बुद्धि दे और छल कपट को त्याग कर, सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति दें।
आओ, हम सब मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करें और प्रतिज्ञा करें कि हम अपनी भारतभूमि को पुनः स्वर्ग बनाकर, भारतमाता को विश्व शिखर पर बैठाएंगे और भारत का गौरव बढ़ाएंगे। जय हिंद, जय भारत।
एक कवि की सुंदर रचना...
मकर राशि में जाकर सूर्य उत्तरायण हो जाता हैं। संक्रांति के सूर्य की सुन्दर किरणे सब को स्वस्थ बनती हैं और रंग बिरंगी छटाए बनकर सबके मन को हर लेती हैं: मोती लाल गुप्त
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