इमाम हसन के आगमन पर
पूरे मदीना में खुशी मनाई
गई: तहजीबुल हसन
रांची: रमजान इबादत और तपस्या का महीना है। इसी महीने की 15 तारीख सन तीन हिजरी में अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम को नवासे से नवाज़ा। इमाम हसन के आगमन पर पूरे मदीना में खुशियाँ मनाई गईं। इमाम हसन के लिए पैगंबर ने कहा कि मेरी हु बहू की तस्वीर हसन का जात है। आप इमाम हसन के साथ सात साल तक रहे। और आप इमाम हसन को ऐसा लाड़-प्यार देते थे कि जमाना हैरान हो जाता था। आप ही ने इमाम हसन के कान में अज़ान और इक़ामत कही थी। और यह सुन्नत नबी बन गई। आप ने ही अपने नवासे का नाम हसन रखा। अगर आप इमाम हसन की पूरी जिंदगी पढ़ेंगे तो यही सीख मिलती है कि इंसान को हर मोर्चे पर सबसे पहले सुलह को अहमियत देनी चाहिए। इसी में मानवता का अस्तित्व निहित है। इमाम हसन ने कहा, ऐ मुसलमानों, उम्मत में मतभेद पैदा मत करो। उम्मत में कलह पैदा करने वाले सही मायने में पैगम्बर के खुले दुश्मन हैं। उपरोक्त बातें हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहीं। वह मस्जिद जाफरिया में इमाम हसन के जश्न को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना नैय्यर द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। शायर ने कलाम पेश किया। इनमें सैयद निहाल हुसैन सरियावी, अत्ता इमाम रिजवी, कमर बिलग्रामी, कासिम अली, हाशिम अली, अली हसन फातेमी, इकबाल हुसैन, यावर हुसैन, शहजादा इब्न अली शामिल थे। इस कार्यक्रम का आयोजन स्वर्गीय हाजी अज़हर हुसैन के पुत्र के द्वारा किया गया।


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