तथागत गौतम बुद्ध के चरणों में
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए, देश
की उन्नति, मानवता की रक्षा, धर्म की
रक्षा, भारतीय संस्कृति की रक्षा और
आतंकवाद, भ्रष्टाचार, पाखंडवाद को
जड़ से समाप्त कर भारत को सशक्त
बनाने और विश्व गुरु बनाने की दिशा
में एकजुट होने की अपील
विश्व गुरु, संत शिरोमणि, शाक्य कुलभूषण महामानव तथागत गौतम बुद्ध की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। उनका करुणा, शांति, अहिंसा और सत्य का मार्ग न केवल व्यक्तिगत मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि एक सशक्त, उन्नत और विश्व कल्याणकारी राष्ट्र के निर्माण की आधारशिला भी रखता है। बुद्ध पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, आइए उनके कुछ अमूल्य विचारों को आत्मसात करें और भारत को विश्व गुरु बनाने के संकल्प को और दृढ़ करें।
देश की उन्नति का आधार: प्रज्ञा, शील और समाधि
गौतम बुद्ध ने देश की उन्नति के लिए तीन महत्वपूर्ण स्तंभ बताए - प्रज्ञा (ज्ञान), शील (नैतिक आचरण) और समाधि (एकाग्रता)।
प्रज्ञा: एक विवेकपूर्ण और ज्ञान आधारित समाज ही सही दिशा में प्रगति कर सकता है। बुद्ध ने अंधविश्वास और रूढ़ियों से मुक्त होकर तर्क और अनुभव के आधार पर ज्ञान प्राप्त करने का आह्वान किया। आज भारत को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट बनकर ज्ञान के प्रकाश से पूरे विश्व को आलोकित करना होगा।
शील: नैतिक मूल्यों पर आधारित समाज ही सुखी और समृद्ध हो सकता है। बुद्ध ने चोरी, हिंसा, झूठ और व्यभिचार से दूर रहने का उपदेश दिया। यदि प्रत्येक नागरिक सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और करुणा के मार्ग पर चले, तो भ्रष्टाचार और अपराध जैसी बुराइयाँ स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी, जिससे देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।
समाधि: एकाग्र चित्त और स्थिर मन ही बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। बुद्ध ने ध्यान और साधना के माध्यम से चित्त को शुद्ध और एकाग्र करने का महत्व बताया। यदि हमारे नेता, प्रशासक और नागरिक अपने कार्यों में एकाग्रता और समर्पण का भाव रखेंगे, तो देश निश्चित रूप से विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।
मानवता की रक्षा: करुणा और अहिंसा का मार्ग
बुद्ध की सबसे महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से एक करुणा और अहिंसा है। उन्होंने सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखने का उपदेश दिया। आज जब विश्व हिंसा, युद्ध और घृणा से त्रस्त है, भारत बुद्ध के इन विचारों को अपनाकर विश्व शांति और मानवता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमारी विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध करुणा और मैत्री पर आधारित होने चाहिए, जिससे हम पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देख सकें।
धर्म की रक्षा: सार्वभौमिक मूल्यों का संरक्षण
बुद्ध ने धर्म को किसी विशेष पूजा पद्धति या कर्मकांड तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों के रूप में प्रस्तुत किया। उनका धर्म सत्य, अहिंसा, करुणा, मैत्री और समानता पर आधारित है। इन मूल्यों की रक्षा करना ही सच्चे धर्म की रक्षा है। भारत, जो विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम है, बुद्ध के इन सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाकर धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।
भारतीय संस्कृति की रक्षा: समन्वय और सहिष्णुता का संगम
भारतीय संस्कृति हमेशा से ही समन्वय और सहिष्णुता की प्रतीक रही है। बुद्ध की शिक्षाओं ने इस भावना को और अधिक मजबूत किया। उन्होंने विभिन्न विचारों और मतों का सम्मान करने का संदेश दिया। आज हमें अपनी इस सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखना है और आधुनिकता के साथ समन्वय स्थापित करते हुए इसे और समृद्ध बनाना है। बुद्ध के मध्यम मार्ग का सिद्धांत हमें अतिवाद से बचने और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
आतंकवाद, भ्रष्टाचार, पाखंडवाद का उन्मूलन: अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण
बुद्ध ने दुखों से मुक्ति के लिए अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया - सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्मांत, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि। यदि हम व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर इस मार्ग का अनुसरण करें, तो आतंकवाद, भ्रष्टाचार और पाखंडवाद जैसी बुराइयों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
सम्यक् दृष्टि: सत्य और वास्तविकता को सही रूप में देखना।
सम्यक् संकल्प: स्वार्थ और द्वेष से मुक्त होकर सही संकल्प लेना।
सम्यक् वाक्: सत्य, प्रिय और हितकारी वाणी बोलना।
सम्यक् कर्मांत: अहिंसक और नैतिक कर्म करना।
सम्यक् आजीव: न्यायपूर्ण और সৎ तरीके से जीवन यापन करना।
सम्यक् व्यायाम: सकारात्मक गुणों को विकसित करने और नकारात्मक गुणों को दूर करने का प्रयास करना।
सम्यक् स्मृति: वर्तमान क्षण में जागरूक रहना।
सम्यक् समाधि: चित्त को एकाग्र और शांत करना।
भारत को सशक्त बनाने और विश्व गुरु बनाने की भूमिका में बुद्ध के विचार
बुद्ध के विचार भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाने और विश्व गुरु की भूमिका में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उनकी शिक्षाएं हमें आत्मनिर्भर, नैतिक, शांतिप्रिय और ज्ञानवान बनने की प्रेरणा देती हैं। एक ऐसा भारत जो अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हुए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी हो, जो विश्व शांति और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हो, वही सच्चा विश्व गुरु बन सकता है।
आइए, इस बुद्ध पूर्णिमा पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम तथागत गौतम बुद्ध के अमूल्य विचारों को अपने जीवन में उतारेंगे और एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो विश्व में शांति, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक बनेगा।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
एके बिंदुसार
संस्थापक
भारतीय मीडिया फाउंडेशन
एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी।

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