पीआईएल (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन)
एवं जन सूचना का अधिकार अधिनियम
आरटीआई (राइट टू इनफार्मेशन) के
कार्य को नियमानुसार करने के लिए
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के सशक्त
मीडिया भ्रष्टाचार मुक्त भारत के उद्देश्य
को पूर्ण करने हेतु सोनभद्र के वरिष्ठ
पत्रकार सुमित कुमार को सौंपी गई
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
उन्हें नियुक्त किया गया केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (central public information officer ) के पद पर।
नई दिल्ली। भारतीय मीडिया फाउंडेशन की ओर से एक मजबूत तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की योजना बनाई गई हैं।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के केंद्रीय मैनेजमेंट अफेयर्स कमेटी की ओर से भारतीय मीडिया फाउंडेशन के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सेल सोनभद्र के जिला अध्यक्ष सुमित कुमार जी को केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (Central Public Information Officer) के पद पर नियुक्त किया गया है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन के देश के समस्त मीडिया अधिकारी एवं पदाधिकारी को सूचित किया जाता है की किसी भी प्रदेश या उस प्रदेश के जिलों से संबंधित किसी भी प्रकार के मामले से संबंधित पीआईएल एवं जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी कार्रवाई के लिए आप श्री सुमित कुमार जी से संपर्क कर सकते हैं।
संपर्क सूत्र -
सुमित कुमार पुत्र स्व० रामसूरत कन्नौजिया
पता - ग्राम- कोटा बस्ती, पो०-शक्तिनगर, तहसील-दुद्धी, जिला-सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
मो०नं०- 8127644987
ईमेल - tvnewsindialucknow1@gmail.com,
tvnewsindialucknows@gmail.com,
chakradarshanskt@gmail.com
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1- *पीआईएल (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन) का कार्य
पीआईएल (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन) एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक हित के मुद्दों को न्यायालय के समक्ष लाना होता है। इसका मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. *सार्वजनिक हित की रक्षा: पीआईएल के माध्यम से न्यायालय में ऐसे मामलों को उठाया जा सकता है जो सार्वजनिक हित से जुड़े होते हैं, जैसे कि पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार, और सामाजिक न्याय।
2. न्यायालय में जनहित याचिका दायर करना: पीआईएल के तहत कोई भी व्यक्ति या संगठन न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सकता है, भले ही वह सीधे तौर पर उस मामले से प्रभावित न हो।
3. सरकारी नीतियों और निर्णयों की समीक्षा: पीआईएल के माध्यम से न्यायालय सरकारी नीतियों और निर्णयों की समीक्षा कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि वे संविधान और कानून के अनुरूप हैं।
4. सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना: पीआईएल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
5. पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना: पीआईएल सरकारी अधिकारियों और संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
पीआईएल के लाभ
पीआईएल के माध्यम से न्यायालय में जनहित के मुद्दों को उठाने से कई लाभ हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सार्वजनिक हित के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना
- सरकारी नीतियों और निर्णयों की समीक्षा करना
- सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना
- पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना
- न्यायालय के माध्यम से समाधान प्राप्त करना।
2- जन सूचना का अधिकार अधिनियम: कार्य एवं उद्देश्य
जन सूचना का अधिकार अधिनियम, जिसे आमतौर पर आरटीआई (राइट टू इंफॉर्मेशन) एक्ट के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण कानून है जो नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुंचने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
कार्य:
1. सरकारी जानकारी तक पहुंच: आरटीआई अधिनियम नागरिकों को सरकारी विभागों और सार्वजनिक संस्थाओं से जानकारी मांगने और प्राप्त करने का अधिकार देता है।
2. पारदर्शिता को बढ़ावा देना: इस अधिनियम के माध्यम से सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है, जिससे नागरिकों को सरकारी निर्णयों और कार्यों के बारे में जानकारी मिलती है।
3. जवाबदेही सुनिश्चित करना: आरटीआई अधिनियम सरकारी अधिकारियों और संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करता है, जिससे वे अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होते हैं।
उद्देश्य:
1. सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना: आरटीआई अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना और नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुंचने का अधिकार देना है।
2. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना: इस अधिनियम के माध्यम से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है और उन्हें सरकारी निर्णयों और कार्यों के बारे में जानकारी मिल सकती है।
3. भ्रष्टाचार को कम करना: आरटीआई अधिनियम भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने से भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है।
जन सूचना का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कानून है जो नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुंचने का अधिकार देता है और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। इस अधिनियम के माध्यम से नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और सरकारी निर्णयों और कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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