एक दिवसीय वर्कशाप/सेमिनार एवं खरीफ तिलहन मेला कार्यक्रम का किया गया आयोजन

तिलहन के बारे में नयी तकनीक एवं खेती करने की

 विधि की जानकारी प्राप्त कृषक प्राप्त कर सकते हैं

 अच्छा उत्पादन-मुख्य विकास अधिकारी




प्रयागराज। मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को विकास भवन के सरस सभागार में एक दिवसीय वर्कशाप/सेमिनार एवं खरीफ तिलहन मेला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा दीप प्रज्जवन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक, प्रयागराज द्वारा पुष्पगुच्छ देकर मुख्य विकास अधिकारी महोदया का स्वागत किया गया, जिसमें जिला कृषि अधिकारी प्रयागराज, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, प्रयागराज, भूमि संरक्षण अधिकारी प्रयागराज, सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर) क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला प्रयागराज, डा0 मदन सिंह, डा0 विक्रम सिंह शुआट्स निदेशालय, नैनीसमेत कृषि विभाग के अन्य अधिकारी/कर्मचारी, तथा जनपद के कृषक भाईयों एवं बहनों द्वारा प्रतिभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रीती त्रिपाठी द्वारा किया गया।
मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर मेला/गोष्ठियां के माध्यम से कृषकों के साथ आयोजन कराते रहते हैं। कृषक भाईयों से अपील की तिलहन की खेती के बारे में नयी जानकारी लेते रहे। आज इस तिलहन गोष्ठी के माध्यम से तिलहन के बारे में नयी तकनीक एवं खेती करने की विधि की जानकारी प्राप्त कर अपना अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
उप कृषि निदेशक प्रयागराज द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे पी0एम0 कि0, तिलहन योजना एवं अन्या योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।जानकारी के साथ-साथ कृषकों को आने वाली समस्याओं जैसे तिलहन, ई0के0वाई0सी0, लैण्ड, सीडिंग जैसे भू-अंकन के समाधान हेतु अवगत कराया गया।कृषकों को आत्म निर्भर बनाने हेतु विभाग द्वारा प्रगतिशील कृषकों का प्रशिक्षण सतत् कराया जा रहा है जिससे प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने क्षेत्र में हर किसान तक उन्नतिशील खेती करने हेतु जागरुता फैलाया जा रहा है।
अजय कुमार, उद्यान विभाग में संचालित योजनाओं के बारे में चर्चा की गयी। अजय कुमार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ड्रिप सिंचाई, एकीकृत बागवानी जैसी योजनाओं में ड्रैगन फ्रूडस की खेती पर सब्सिडी दिये जाने के बारे में कृषकों को जानकारी दी गयी।
डा0 विक्रम सिंह, वैज्ञानिक सुआट्स द्वारा तिलहन फसल उत्पादन बढ़ाने के तकनीकी पहलू के बारे में जानकारी दी गयी। सरसों की फसल का मुख्य कीट माहू होता है। अगेती सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप कम होता है। तापमान बढ़ने के कारण सरसों की पिछेती फसल पर माहू कीट का प्रकोप ज्यादा होता है। 1 मिलीलीटर नीम के तेल को 1 लीटर पानी में मिलाकर कीट से प्रभावित पौधों पर छिड़काव करने से माहू पर नियत्रंण कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
डा0 मदनसेन वैज्ञानिक शुआट्स विश्वविद्यालय नैनी, प्रयागराज द्वारा कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के बारे में विस्तार से कृषकों को बताया गया फन्जीसाइड, इनसेक्टी साइड एवं राइजोबियम कल्चर कोअपनाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। फसल चक्र अपनाकर मृदा की उर्वरता शक्ति को बरकरार रखा जा सकता है जिससे अनावश्यक कीटनाशक की आवश्यकता नहीं पड़ती है, 10 ली0 पानी में 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर, पी0एस0बी0 कल्चर एवं गुड़ के सीरे में प्रयोग करने से मृदा की उर्वरता बढ़ती है साथ ही खेतों की निराई मजदूरों से करानी चाहिए जिससे एक बार में ही खेतों से खरपतवार समाप्त हो जाते हैं। यदि आवश्क हो तो तिलहन में खरपतवार की रोकथाम के लिये पेंडामिथलीन का प्रयोग किया जा सकता है। कृषि से जुड़ी समस्याओं के समाधान हेतुकृषि वैज्ञानिकों द्वारा अपने दूरभाष नम्बर साझा किया गया जिससे कृषक दूरभाष पर अपनी समस्याओं का निस्तारण करा सकते हैं।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी, प्रयागराज द्वारा उप कृषि निदेशक की अनुमति से कृषकों, अधिकारियों, मीडिया सेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गयी।

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