'परिवार पर हमला, महिलाओं
का उत्पीड़न।' - छत्तीसगढ़ में
मीडिया पर सरकारी आतंक की पराकाष्ठा
नई दिल्ली। विशेष लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर 'घोर अन्याय' का वार: सरकारी पावर के दुरुपयोग से देश सकते में।
छत्तीसगढ़ में सच की आवाज़ को दबाने की कोशिश अब निजी हमलों और महिलाओं के उत्पीड़न तक पहुँच गई है, जो लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। 'बुलंद छत्तीसगढ़' के संचालक एवं प्रधान संपादक के परिवार पर हमले की घटना ने पूरे मीडिया जगत को स्तब्ध कर दिया है। इसे सरकारी पावर का घोर दुरुपयोग करार दिया गया है।
गंभीरतम आरोप:
बुलंद छत्तीसगढ़ के प्रधान संपादक के घर की महिलाओं के साथ उत्पीड़न और परिवार पर हमले किए गए।
मीडिया के निशाने पर:
सीपीआर डॉ. रवि मित्तल पर एक बार फिर मीडिया के दुश्मन बनने का आरोप लगाया गया है।
मीडिया संगठनों ने कहा आसुरी शक्ति प्रवेश कर गई है डॉक्टर मित्तल के अंदर जो छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र को खोखला कर देगी।
संगठनों का आक्रोश:
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) सहित कई बड़े पत्रकार संगठनों ने इस घोर अन्याय के खिलाफ देशव्यापी मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है।
ए.के. बिंदुसार की चेतावनी:
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक ए.के. बिंदुसार ने इसे छत्तीसगढ़ में 'एक काले युग का उदय' बताया है। उन्होंने मीडिया पर हमला करने वाले सरकारी अधिकारियों की संपत्ति और आय स्रोतों की तत्काल उच्च स्तरीय जाँच की माँग भारत सरकार से की है।
केंद्र से अपील और युद्ध की आशंका:
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बालकृष्ण तिवारी और केंद्रीय अनुशासन समिति के केंद्रीय अध्यक्ष राम आसरे ने संयुक्त रूप से केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राज्य के अधिकारी/कर्मचारी सरकार की नीतियों का खुला विरोध करते रहे, तो 'मीडिया, पालिका एवं कार्यपालिका के बीच युद्ध' होने की संभावना है।
क्या एक अधिकारी को 'सरकारी पावर' के दुरुपयोग की खुली छूट है? देश भर में इस 'तानाशाही' पर त्वरित जाँच की मांग।

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