एक दिया ऐसा भी हो

 एक दिया ऐसा भी हो



एक दिया ऐसा भी हो, जो
भीतर तलक प्रकाश करे,


एक दिया मुर्दा जीवन में,
फिर आकर कुछ श्वास भरे।


एक दिया सादा हो इतना,
जैसे साधु का जीवन,


एक दिया इतना सुन्दर हो,
जैसे देवों का उपवन।


एक दिया जो भेद मिटाए,
क्या तेरा क्या मेरा है,


एक दिया जो याद दिलाये,
हर रात के बाद सवेरा है।


एक दिया उनकी खातिर हो,
जिनके घर में दिया नहीं,


एक दिया उन बेचारों का,
जिनको घर ही दिया नहीं।


एक दिया सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का,


एक दिया मानवता-रक्षक,
चंद बचे इंसानों का।


एक दिया विश्वास दे उनको,
जिनकी हिम्मत टूट गयी,


एक दिया उस राह में भी हो,
जो कल पीछे छूट गयी।


एक दिया जो अंधकार का,
जड़ के साथ विनाश करे,


एक दिया ऐसा भी हो,
जो भीतर तलक प्रकाश करे।




डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”
सर्वाधिकार सुरक्षित
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

Post a Comment

0 Comments