अपनी बात : सुनिए झारखंड के देवघर निवासी दिव्यांग राजेश ,कुमार के जुवानी उनका दर्द

अपनी बात : सुनिए झारखंड के 

देवघर निवासी दिव्यांग राजेश ,

कुमार के जुवानी उनका दर्द





रांची से अवधेश कुमार यादव की रिपोर्ट :मैं राजेश कुमार ग्राम महादेव आंबा पोस्ट सोनाराठाढ़ी जिला देवघर रांची झारखंड का रहने वाला हूं। मैं 70% दिव्यांग हूं। मैं यूसीजी नेट का परीक्षा दो बार अर्थशास्त्र विषय से पास किया हूं । मैं सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका मे स्थातकोतंर अर्थशास्त्र विभाग में 22 जनवरी 2020 से अध्यापन कार्य शुरू किया। मैं जब गया यूजीसी नेट का परीक्षा पास किया तब मुझे विश्वविद्यालय में बुलाया गया और कहां गया कि यहां यहांस्थातकोतंर अर्थशास्त्र विभाग में शिक्षक की कमी है आप यहां अध्यापन कार्य कीजिए और जो आधारित शिक्षक को दिया जाता है आपको दिया जाएगा। मैंने 1 वर्ष से अधिक समय तक विश्वविद्यालय में सेवा दिया लेकिन इसके बदले में मुझे कुछ भी नहीं मिल रहा था इसका शिकायत मैंने महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस से किया। महामहिम ने आदेश दिए कि इसे पैसा दिया जाए लेकिन इनसे शिकायत करने का परिणाम यह हुआ कि मुझे अध्यापन कार्य से ही हटा दिया गया।

मैं 3 मई से राजभवन रांची के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठा हुआ हूं। और महामहिम राज्यपाल महोदय से मिलने का प्रयास कर रहा हूं और मैं महामहिम से मिलकर यह बताना चाहता हूं कि आपसे शिकायत करने का परिणाम यह हुआ कि मुझे अध्यापन कार्य से हटा दिया गया है। मैं महामहिम राज्यपाल महोदय को अब तक अपना समस्या के संबंध में 15 पत्र लिख चुका हूं लेकिन मेरा समस्या का निदान नहीं हो सका है। मैं अब तक माननीय मुख्यमंत्री को 11 पत्र लिख चुका हूं।

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से माननीय विधानसभा अध्यक्ष की ओर से और पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से पुनः अध्यापन के संबंध में पत्र जारी किया गया है लेकिन विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों द्वारा मुझे अध्यापन का कार्य नहीं दिया जा रहा है।

मैं अब तक बहुत सारे मंत्री विधायक एवं पदाधिकारियों से मिल चुका हूं लेकिन मेरा समस्या का निदान नहीं हो पाया।

मेरे स्थानीय विधायक जरमुंडी विधानसभा सह माननीय कृषि मंत्री ने आश्वासन दिए हैं कि आपकी समस्या का निदान किया जाएगा।

मैं न्याय की उम्मीद से राजभवन रांची के समक्ष धरना स्थल पर 5 महीनों से बैठा हुआ हूं।

प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राजेश कुमार ने यह जानकारी दी है।

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