दो दिवसीय शैवागम
सम्मेलन हुआ शुरू।
वाराणसी (राम आसरे)। श्री श्री कांची कामकोटि पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी शंकर विजेंयद्र सरस्वती महाराज के सानिध्य में बुधवार से काशी में दो दिवसीय शैवागम सम्मेलन शुरू हुआ। इसकी शुरुआत हनुमान घाट स्थित श्री काशी कामकोटिश्वर मंदिर से शोभायात्रा के साथ हुआ जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे बड़ी संख्या में विद्वतगण एवं विद्यार्थी युवा श्रद्धालुजन शामिल हुए। यह शोभा यात्रा सम्मेलन स्थल शिवाला स्थित चेत सिंह किले तक गया जहां नदी के ध्वज का आरोहण किया गया। वहां प्रदर्शनी के माध्यम से पूजा पद्धति हवन आदि की यज्ञशाला को उत्तम यज्ञशाला माध्यम यज्ञशाला और निम्न यज्ञशाला का प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया जिसमें किस-किस हवन कुंड को किन-किन मित्रों के द्वारा कैसे आहुति दी जाती है को चित्रों के माध्यम से बताया गया। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकर विजयेन्द्र सरस्वती महाराज ने कहा कि वेद सनातन है वेदों में उपासना के कई भाग है जिसमें शैवागम प्रमुख है। इसका उद्धव अनाड़ी है। यह परंपरा वेद और द्रविड़ भाषा का मिश्रण है। आपने बताया कि गमों के द्वारा आराधना एक सरल पद्धति है यह लोक कल्याणकारी है। इस विषय के विद्वान जो देश के विभिन्न हिस्से से इस सम्मेलन में यहां भाग लेने के लिए उपस्थित हुए हैं उनके कारण यह परंपरा आज भी सुरक्षित है। इसको अक्षुण्ण रखने में इन विद्वानों का बहुत बड़ा योगदान है। काशी में हो रहे शैवागम सम्मेलन का संदेश पूरी दुनिया में पहुंचना है। इसको आत्मसात करना सभी के लिए और जगत के लिए मंगलकारी होगा। इससे पूर्व पूज्य शंकराचार्य महाराज एवं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य के वेंकटरमण घनपाठी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर पूज्य संत श्री श्री रविशंकर ने ऑनलाइन अपने संदेश में कहा कि काशी में यह आयोजन शंकराचार्य के अनुग्रह से हो रहा है जो इस विद्या का संरक्षण है। कांची मटके द्वारा इस विद्या के लिए तमिलनाडु कावेरी के तट पर आगम विद्या सीखने के लिए विद्यालय खोला गया है।
वहां पर अध्ययन अध्यापन का कार्य लोक कल्याण के लिए किया जा रहा है इसके द्वारा प्रभु की उपासना की जाती है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक सुंदर मूर्ति शिवाचार्य सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला सहसंयोजक प्रकाश शिवाचार्य ने इसके विधि के महत्व को बताया सम्मेलन में एस नटराज शिवाचार्य राजपा शिवाचार्य बाल सुब्रमण्यम शिवाचार्य डॉक्टर दीपा स्वामी अरुण सुंदर कार्तिकेय शिवाचार्य ने अलग-अलग शैवागम के अलग-अलग पशुओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर दो पुस्तकों चंडी यज्ञ का प्रयोग विधि एवं समागम तत्व विचार का विमोचन जगतगुरु शंकराचार्य ने किया।
अतिथियों का स्वागत स्थानीय कांची मठ के प्रभारी बीएस सुब्रमण्यम मणि ने किया।
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