राष्ट्रीय चेतना मंच
31 01 2025
परिवार के सभी प्रियजनों को मेरी राम राम, बड़ों को नमन, छोटों को ढेर सारा प्यार। आज का दिन आप सभी के लिए आनंदमय व मंगलमय हो।
31 जनवरी का महत्व... आज ही के दिन 31 जनवरी 1958 को अमेरिका ने अपना पहला अंतरिक्षयान अंतरिक्ष में भेजा और नासा ने जीवित प्राणियों पर अंतरिक्ष के प्रभावका अध्ययन करने के लिए एक चिंपांजी को भी अंतरिक्ष में भेजा था।
मेरे कुछ प्रिय बहन भाइयों ने मुझ से पूछा है... क्या आप कांग्रेसी हैं, इंदिराजी की इतनी प्रशंसा क्यों ? क्या आप कांग्रेस के वेतनभोगी कार्यकरता (Paid worker) है ? मेरा विनम्र उतर... मेरे दादाजी, मेरे पिताजी, मेरी माताजी बहुत ही मेहनती, ईमानदार व ज्ञान के भंडार थे। मेरे दादाजी पटवारी थे, उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला, कभी रिश्वत नहीं ली। पटवारी के रूप में वे पूरे गांव को अपना परिवार मानते थे, इसलिए ग्रामीणों की सेवा में सदैव तत्पर रहते। उनकी सेवा के लिए रात के 12:00 बजे भी घोड़े पर बैठकर घनें जंगल से होकर सुबह-सुबह गांव पहुंच जाते और उनकी सेवा में लग जाते । बहादुर इतने--- यदि मीने ( हरियाणा के बॉर्डर पर एक चोर जाती) मेरे दादाजी के गांव से एक ऊंट चुरा कर ले जाते, तो दादाजी गांव को दो ऊंट लाकर देते। मैं, अपने दादाजी की जूठन खाकर बड़ा हुआ हूं, उनकी कर्तव्यनिष्ठता व सेवाभाव की सोच बचपन में ही मेरे अंदर समा गई।
मेरी माताजी का बचपन संपन्न जैन परिवार में बीता, वे बहुत ही मेहनती, बद्धिमान और दयालु थी, सत्य और अहिंसा की जीवित तस्वीर थीं। प्रतिदिन प्रातकाल मुझे गीतपाठ सुनाती और रात को महीनों तक खत्म न होने वाली प्रेरणादायक लंबी-लंबी कहानीया सुना कर मुझे सुलाया करती। दादाजी की वीरता व कर्तव्यनिष्ठता के भाव, माताजी के सेवाभाव व सत्य के प्रति अटूट निष्ठा की सोच बचपन में ही मेरे कोमल हृदय में समा गई। आज मैं जो भी हूं, उन्हीं की सोच की उपज हूं। एक पुरानी कहावत... हम स्वयं में कुछ नहीं हैं, केवल हालात और वातावरण की उपज हैं, जैसे हालात और वतावरण में रहते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। (One old saying... We are nothing by ourselves, we are the product of circumstances and environment we live in). मानव गलतियों का पुतला है, हम सभी जीवन में अनेक गलतियां करते हैं। देखना यह है कि हमारी गलतियों का देश व समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है, यही जरूरी है। नेहरूजी और इंदिराजी की कमियां भी मैं आगे के लेख (भाग 4) में अवश्य लिखूंगा, कृपया इंतजार करें।
-मोती लाल गुप्त
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