हमें गर्व है अपनी क्षत्रियवंश की वीरांगना कुमारी जया पर जिन्होंने अयोध्या के राममंदिर को तोड़नेवाले बाबरके म्लेच्छ सिपहसालार मीरबाकी को मृत्युलोक पहुंचाया

हमें गर्व है अपनी क्षत्रियवंश 

की वीरांगना कुमारी जया पर 

जिन्होंने अयोध्या के राममंदिर 

को तोड़नेवाले बाबरके म्लेच्छ 

सिपहसालार मीरबाकी 

को मृत्युलोक पहुंचाया



सन 1527 से 1529 के बीच जब बाबर के सिपहसालार म्लेच्छ मीरबाकी द्वारा राममंदिर को ध्वस्त किया जारहा था, तो हंसवर राज्य के राजा रणविजय सिंहजी एक छोटी सी सेना की टुकड़ी लेकर युद्ध के लिए निकल पड़े और बाबर की विशाल सेना से मुट्ठीभर राजपूतों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त की। उनकी वीरगति के बाद उनकी धर्मपत्नी " महारानी कुमारी जया ने, जैसे ही मंदिर के ऊपरी भाग में मस्जिद की गुम्बद का निर्माण शुरू हुआ तो महान् वीरांगना ने छापामारनीतिसे बाबर के सिपहसालार मीरबाकी को युद्ध में मार डाला और महारानी ने राममंदिर को अपने कब्जे में ले लिया।

मीरबाकी की मृत्यु सूचना मिलते ही मुग़ल आक्रांता बाबर ने एक बड़ी सेना के साथ महारानी की छोटी सी टुकड़ी पर आक्रमण कर दिया और महान् वीरांगना युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो हुईं। महारानी जया कुमारी जी का एक चित्र श्री राम मंदिर में लगाया गया है। जय मां,जय भवानी।

पकड़ हाथ में तलवार, टूट पड़ी दुश्मन पर वो।

रूप धारण कर चंडी का, दुश्मन का संहार करें।। धन्य है हम, वंशज हैं हम,ऐसी वीर माताओं के ।

 -मोती लाल गुप्त

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