लखीमपुर खीरी में पत्रकारों
का कोतवाल के निलंबन की
मांग को लेकर धरना, भारतीय
मीडिया फाउंडेशन का समर्थन
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पत्रकारों ने स्थानीय कोतवाली के कोतवाल हेमंत राय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कथित भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोपों को लेकर पत्रकारों ने पुलिस अधीक्षक परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पत्रकारों का कहना है कि जब तक कोतवाल हेमंत राय को निलंबित नहीं किया जाता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
धरना दे रहे पत्रकारों ने कोतवाल हेमंत राय पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कोतवाल मनबढ़ रवैया अपना रहे हैं और क्षेत्र में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। पत्रकारों ने आरोप लगाया कि कोतवाल द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जा रहा है और उनकी कार्यशैली से आम जनता और पत्रकार समुदाय में असंतोष व्याप्त है।
इस घटनाक्रम पर भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने भी पत्रकारों का पुरजोर समर्थन किया है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने एक बयान जारी कर कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने मांग की है कि कोतवाल हेमंत राय और अन्य संदिग्ध पुलिसकर्मियों का तत्काल नारको टेस्ट कराया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। इसके साथ ही, भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने मांग की है कि जांच पूरी होने तक संबंधित पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित किया जाए ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने इस अवसर पर कहा कि कुछ पुलिसकर्मी उत्तर प्रदेश में वर्तमान सरकार की छवि को खराब करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन कुछ पुलिस अधिकारी अपने भ्रष्ट आचरण से सरकार के प्रयासों को पलीता लगा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
पत्रकारों के धरने के कारण जिले में तनाव की स्थिति बनी हुई है। बड़ी संख्या में पत्रकार एकत्र होकर कोतवाल के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और उनके निलंबन की मांग कर रहे हैं। पत्रकारों का कहना है कि वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं और यदि पुलिस प्रशासन इस तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त रहेगा तो निष्पक्ष पत्रकारिता करना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।
यह घटना उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। एक तरफ जहां सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे मामले सामने आना चिंताजनक है। अब देखना यह होगा कि लखीमपुर खीरी के इस मामले में प्रशासन क्या कार्रवाई करता है और पत्रकारों की मांगों पर कितना ध्यान देता है। यह घटना निश्चित रूप से प्रदेश के अन्य पत्रकारों और नागरिक समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।

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