ककार पहने सिख अभ्यर्थी को परीक्षा देने से रोकने की निंदा: सिख नेता का संविधान उल्लंघन का आरोप :

 

ककार पहने सिख अभ्यर्थी को

 परीक्षा देने से रोकने की निंदा:

सिख नेता का संविधान उल्लंघन का आरोप :


कानपुर,सोमवार। सिख विद्यार्थी गुरप्रीत कौर को परीक्षा देने से सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि उसने अपने धार्मिक ककार कृपाण और कड़ा धारण किए हुए थे। इन्हें उतारने को कहना हमारे धार्मिक अस्तित्व पर सीधा हमला है। धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने का हक किसी सरकार को नहीं है। यह न सिर्फ सिख धर्म का अपमान है, बल्कि भारत के संविधान का भी गंभीर उल्लंघन है। उपरोक्त आशय की चिंता एवं चेतावनी प्रमुख सिख नेता और संत लोंगोंवाल फाउंडेशन के अध्यक्ष सरदार हरमिन्दर सिंह ने केन्द्रीय विधि मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे को भेजे पत्र में व्यक्त करते हुए संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन पर गम्भीर चिंता प्रकट की है।

विदित हो कि 27 जुलाई 2025 को सिख विद्यार्थी गुरप्रीत कौर को पूर्णिमा विश्विद्यालय जयपुर राजस्थान में परीक्षा के दौरान धार्मिक ककार धारण करने के चलते परीक्षा देने से रोक दिया गया था, यह प्रतिबंध कथित तौर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के भर्ती प्रकोष्ठ के निर्देशों पर लगाया गया था।

अपने पत्र में ऐसे कथित निर्देशों की कड़ी निन्दा करते हुए सरदार हरमिन्दर सिंह ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 (1) का उल्लंघन बताया जो किसी व्यक्ति को अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और उसका पालन का मौलिक अधिकार प्रदान करता है, सरदार हरमिन्दर सिंह ने इस बात पर जोर दिया है कि अनुच्छेद 25 (2) (B) के तहत कृपाण को एक आवश्यक धार्मिक प्रतीक माना गया है, और सार्वजनिक परीक्षा के दौरान इसे धारण करने के अधिकार से वंचित करना न केवल सिख विद्यार्थियों के साथ भेदभाव है बल्कि अनुच्छेद 16 के तहत समानता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।

पत्र में केंद्रीय विधि मंत्री एवं राजस्थान के राज्यपाल से मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता का संज्ञान लेते हुए हस्ताक्षेप करने की मांग करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय भरती प्रकोष्ठ को निर्देशित करने की अपील की है कि नियमित सुरक्षा जांच के बाद सिख विद्यार्थियों को कृपाण धारण करने की अनुमति दें, भविष्य की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रिया में सिख विद्यार्थियों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रव्यापी निर्देश जारी किया जाना सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। सरदार हरमिन्दर सिंह ने कहा कि इस तरह की घटनायें एक खतरनाक मिसाल कायम करती हैं और हमारे संविधान के धर्म निरपेक्ष मूल्यों को कमजोर करने का काम करते हैं।

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