लखनऊ में भू-माफियाओं
का बढ़ता दुस्साहस: मुख्यमंत्री
के आदेशों की अनदेखी या
सरकारी तंत्र की मिलीभगत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं का साम्राज्य तेजी से फैलता जा रहा है। यह स्थिति तब है, जब स्वयं प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ और पुलिस मुख्यालय में डीजीपी जैसी शीर्ष हस्तियां यहीं विराजमान हैं और पूरा सरकारी तंत्र राजधानी में ही केंद्रित है। इसके बावजूद भू-माफियाओं का दुस्साहस लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जिससे मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार-मुक्त शासन के संकल्प पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरोजनी नगर तहसील में 80 करोड़ से अधिक की जमीन पर कब्जा:-
अरविंद राजपूत की खास रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार का एक ताजा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सरोजनी नगर तहसील के राजस्व ग्राम सभा गेहरू (Gahru) में गाटा संख्या- 1308 और 1310 पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है। इस भूमि की अनुमानित बाजार कीमत 80 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है। यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि भू-माफियाओं के मन में मुख्यमंत्री के आदेशों का डर पूरी तरह खत्म हो चुका है या फिर इसमें नगर निगम की संलिप्तता साफ नजर आती है।
मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी और नगर निगम की भूमिका पर सवाल:-
रिपोर्ट में सबसे बड़ा सवाल यह उठाया गया है कि आखिर क्यों मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं कराया जा रहा है? क्या नगर निगम खुद इन भू-माफियाओं के सामने हाथ जोड़े खड़ा है? यह प्रश्न इसलिए भी प्रासंगिक है, क्योंकि सरकारी जमीनों और संपत्तियों के संरक्षण का काम मुख्य रूप से नगर निगम का होता है। यदि भू-माफिया इतनी बड़ी और कीमती जमीन पर आसानी से कब्जा कर पा रहे हैं, तो यह सीधे तौर पर नगर निगम की कार्यप्रणाली और उसकी जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
जिम्मेदारी किसकी?
यह गंभीर स्थिति दर्शाती है कि राजधानी में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं। जब शीर्ष स्तर पर बैठे अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद हों, तब भी भू-माफिया बेखौफ होकर सरकारी संपत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं। ऐसे में यह स्पष्ट होना चाहिए कि इस भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है और क्यों आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा रही है। क्या यह सरकारी तंत्र की निष्क्रियता है, या कुछ अधिकारियों और भू-माफियाओं के बीच कोई अपवित्र गठबंधन है?
इस मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई समय की मांग है, ताकि लखनऊ को वास्तव में भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जा सके और जनता का विश्वास सरकारी तंत्र में बहाल हो सके।
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