आज दिनांक 15/11/22 को केंद्रीय
सरना समिति के अध्यक्ष श्री बबलू
मुंडा के अगुवाई में भगवान बिरसा
मुंडा जयंती के सुअवसर पर लालपुर
स्थित समाधि स्थल पर भगवान बिरसा
मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प एवं
माल्यार्पण किया गया ।
जिसमें भगवान बिरसा की जीवनी के प्रेरणास्रोत कार्य पर प्रकाश डाला गया , केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष श्री बबलू मुंडा ने कहा कि मुझे गर्व है की मैं भी मुंडा परिवार में जन्म लिया हूं। हमें भगवान बिरसा मुंडा के बताएं रास्ते पर चलने व आंदोलन करने की जरूरत है। भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को संपूर्ण भारत के आदिवासियों को याद करने और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए युवकों को संकल्पित होकर समाज हित में कार्य करने पर जोर दिया। आज झारखंड व आदिवासी समाज पर चौतरफा हमला हो रहा है और आदिवासियों कि धर्म - संस्कृति , रीति - रिवाज , परंपरा एवं रूढ़ीवादी व्यवस्था को नेस्तनाबूद करने का षड्यंत्र जोरों पर है ऐसे षड्यंत्रकारी तत्वों को पहचान कर आदिवासी धर्म - समाज को गुमराह और विलुप्त होने से बचाने एवं सुधारने का कर्तव्य हर एक आदिवासियों का है। श्री बबलू मुंडा ने सरकार से मांग किया कि भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर जितने भी सरकारी - गैर सरकारी प्रतिष्ठान चल रहे हैं वहां से रॉयल्टी के रूप में आर्थिक सहयोग उनके वंशजों को दी जाए जो भगवान बिरसा के बलिदान की सच्ची श्रद्धांजलि होगी तथा उनके गांव उलिहातू को वृहद रूप से विकसित कर भगवान बिरसा की शहादत को जीवंत किया जाए , ताकी जो भी व्यक्ति वहां जाए वह भगवान बिरसा की जीवनी से प्रेरित - प्रभावित होकर अपने देश , अपने राज्य , अपने शहर , अपने गांव , अपने समाज के सर्वांगीण विकास तथा नवनिर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर अपने जीवन को सार्थक बना सके । केंद्रीय सरना समिति के महासचिव श्री कृष्ण कांत टोप्पो ने अपने वक्तव्य में कहा कि आजाद भारत के पचहत्तरवें वर्ष में आदिवासी वीर शहीदों के योगदान - बलिदान की याद में केंद्र सरकार जनजातीय गौरव दिवस भगवान बिरसा की जयंती पर मना रही है जो एक स्वागत योग्य कदम है , आदिवासी वीर शहीदों का योगदान - बलिदान ब्रिटिश शासन काल में हुआ और उनके आंदोलनों के फलस्वरूप विभिन्न प्रकार के कानून आदिवासियों के हितार्थ बनाए गए जो आज भी प्रासंगिक हैं , केंद्र सरकार भारत भर के आदिवासी वीर शहीदों के योगदान- बलिदान को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल ना कर उन्हें इतिहास के पन्नों में दर्ज कर पूरे भारत में प्रचारित और प्रसारित करे । केंद्रीय पाहन श्री जगलाल पहान इस अवसर पर बताया कि भगवान बिरसा के आंदोलन के फल स्वरुप आदिवासियों को जल - जंगल - जमीन पर अधिकार मिला लेकिन तत्कालीन बिहार और अब झारखंड अलग राज्य में आज तक जितनी भी सरकारें बनी उन सब ने जल - जंगल - जमीन के आदिवासियों के हक अधिकार को धत्ता साबित कर इसका दोहन - शोषण करने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दिया और आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर हो गई है साथ ही साथ खनिज संपदा और सर्वाधिक राजस्व देने वाला झारखंड राज्य के आंदोलनकारी व उनके परिजन भी गरीबी और गुमनामी के अंधेरे में जी रहे हैं और बाहरी तत्व अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया जो अत्यंत ही दुखदाई है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से सचिव अमर मुंडा निर्मल पहान ढहरू उरांव कृष्णा भगत रमेश टोप्पो चिरौंदी सरना समिति के अध्यक्ष सुखदेव मुंडा दिलीप मुंडा जितेंद्र मुंडा जोगो पहाड़ सरना समिति के संजय उरांव शशि उरांव संदीप मुंडा हेमंत हेमरोम सूरज मुंडा संजय उरांव राजू पान राकेश मुंडा आशीष मुंडा करण मुंडा हेमंत मुंडा मनीष मुंडा आदि उपस्थित थे।
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